व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> जीने की जिद जीने की जिदडॉ. रमेश अग्रवाल
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खुशियों का एक बड़ा फॉर्मूला हमारे प्राचीन दर्शन और संस्कृति में बार-बार दोहराया गया है। यह सच है कि प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्राचीन दर्शन में कही गई इच्छाओं के दमन, त्याग और सन्यास की बातें बेमानी-सी लगती हैं, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि पूर्व में कही गई इन बातों का कोई महत्त्व नहीं। समय की कसौटी पर कसी हुई ये प्राचीन शिक्षाएँ आज भी उतनी ही तर्कसंगत और उपयोगी हैं जितनी कि पहले कभी हुआ करती थीं। इच्छाओं की अनियंत्रित उड़ान एक सीमा के बाद निराशा, दु:ख और अवसाद का कारण बनती ही है, मगर दूसरी तरफ इच्छाओं का कुशल प्रबन्धन सफलता के सफर का शक्तिशाली ईंधन बन सकता है। खुशी और सफलता, दोनों का साथ मिले, इसके लिए जरूरी है कि हम अपने लक्ष्य और इच्छाओं की सीमा स्वयं ही तय करें।
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